यह वाकया था ट्रैफिक सिग्नल पर तमाशा दिखा कर पैसे कमाने वाले छोटे बच्चों का:
हुआ कुछ ऐसा की एक साक्षात्कार के सिलसिले में मैं गुरगांव से गाजिअबाद गया था। लौटते समय मैंने ग्रेटर कैलाश के आस पास ट्रैफिक सिग्नल पर कुछ बहुत छोटे बच्चों को तमाशा दिखा कर पैसे मांगते देखा जिसने मेरा ध्यान आकर्षित किया। दृश्य के केन्द्र में एक मैलेकुच्ले कपडों में बच्ची थी, जो शरीर से करतब दिखा कर गुजरती गाड़ी वालों से पैसे मांग रही थी।पास की ही बस्ती में प्लास्टिक के तम्बुओं में शायद उसके माता पिता रहते थे।
दूसरा दृश्य जिसने मेरा ध्यान भंग किया जब मेरी गाड़ी आगे बढ़ी वो कुछ ऐसे था:
ये दृश्य था बच्चों द्वारा ट्रैफिक पर भीख मांगने का। साकेत का था ये किस्सा । इस घटना ने मुझे ये सोचने पर मजबूर किया की अगर विकासशील देश की राजधानी में धन का इतना असमान वितरण है तो बाकी शहरों का अंदाजा लगना कठिन नहीं है ।
- क्या इन लोगों को देश के आर्थिक विकास का फायदा कभी मिलेगा?
- क्या देश के विकास का फायदा लेने के अधिकारी वे लोग नहीं हैं?
- या देश के आर्थिक विकास का फायदा वो ही लोग हैं जिनके कारण दिल्ली की सडकों पर गाड़ियों और ट्रैफिक की दिक्कत हो गई है?
क्या वे बच्चे स्कूल जाना नहीं चाहते होंगे?क्या वे इस काबिल नहीं बन सकते कि समाज के दुसरे लोगों के साथ बैठ सकें?ऐसे बहुत से सवाल हैं जो यह साबित करते हैं कि भारत अभी कम विकसित देश है। ये तो कोई और देश है जो विकासशील है, शायद इसी देश का नाम इंडिया है, क्यूंकि इस देश में वो लोग रहते हैं जो कान्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं, और गरीबों को कीडे मकोडे समझते हैं। इस देश इंडिया के लोगों कि एक और खासियत है:
ये देश के साथ जुड़े बहुत सी बातों को जानते भी नहीं,मसलन:
- इनमे से बहुत से लोग तो राष्ट्रगान को राष्ट्रीय गीत कहते हैं।
- इन्हें हिन्दी बोलना या तो आती नही वरना बोलने में शर्म आती है ।
- इनको देश के राष्ट्रीय पशु, पक्षी, वगैरह किसी चीज़ से कोई सरोकार नही , और ना ये इन सब चीजों के बारे में जानते हैं॥
ये सवाल कब अपना उत्तर पायेगा , ये तो अभी देखना है, हमें आपको, और भारत देश की करोड़ों अरबों की जनसंख्या को..
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