"आतंकवादियों के आश्रितों को पेंशन देने की"
इस घोषणा ने एक नया विवाद खड़ा किया, परन्तु देश के कथित बुद्धिजीवियों और मीडिया ने कोई प्रतिक्रिया नही दर्ज की क्यूंकि मीडिया तो देश के सबसे बड़े खेल क्रिकेट और फ़िल्म जगत के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण ख़बर देने में लगा था गोया वो देशहित का काम कर रही हो।
यह विवाद था कि "क्या देश के लोगों को मारने वाले, देश के विरुद्ध कार्यरत लोग ये सम्मान पाने के हकदार हैं ?"
आप सभी ये जानते हैं कि इससे पहले ये सम्मान कुछ तरह के लोगों को मिलता आया है , ये लोग हैं:
क्या ये इन लोगों का अपमान नही है?
क्या देश के लोगों ने इसका विरोध करना चाहिए ?
शायद ये काम देश के कथित अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करने के लिए किया गया है, जबकि शायद ये लोग ये नही जानते कि अल्पसंख्यक में जो भारतीय हैं उन्हें इन ओछ्हे तरीकों से भरमाया नही जा सकता। केवल उन लोगों को अपने तरफ़ मोडा जा सकता है जो देश के ख़िलाफ़ काम करते हैं। ये लोग ये भूल जाते हैं की ये सब करके वो आतंक को बढावा देते हैं।
वैसे इस सन्दर्भ में एक और बात याद आती है:
जब देश के बजाय अपनी सेवा करने के लिए राजनीति में आये लोगों को देश के बड़े सम्मानों से नवाजा जा सकता है, तो ये भी शायद ग़लत नहीं (आपने शायद इस बार का पद्म भूषण, विभूषण और श्री पुरस्कारों का वितरण याद रखा हो, जिसमे कुछ राजनीतिज्ञों को भी तवज्जो दी गई, भले ही उन्होंने देश के लिए कुछ भी ना किया हो )।
देखते हैं की इस देश के प्रशासकों का चरित्र और कितना नीचे गिरता है ?
या फ़िर हमें आगे आक़र ये सब रोकना पड़ेगा और इसके ख़िलाफ़ हल्ला बोलना होगा।
यह विवाद था कि "क्या देश के लोगों को मारने वाले, देश के विरुद्ध कार्यरत लोग ये सम्मान पाने के हकदार हैं ?"
आप सभी ये जानते हैं कि इससे पहले ये सम्मान कुछ तरह के लोगों को मिलता आया है , ये लोग हैं:
- सरकारी कर्मचारी।
- देश कि रक्षा विभाग में अपनी सेवाएं देने वाले अधिकारी, वैज्ञानिक।
- देश कि रक्षा करने वाले सिपाही।
- देश के लिए शहीद होने वाले स्वतंत्रता सेनानी।
- देश के लिए जान देने वाले सैनिक के परिजन।
- देश के नेतागण जिन्होंने लोक सभा, राज्य सभा, विधान सभा, विधान परिषद् में काम किया हो।
- देश के राष्ट्रपति ।
क्या ये इन लोगों का अपमान नही है?
क्या देश के लोगों ने इसका विरोध करना चाहिए ?
शायद ये काम देश के कथित अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करने के लिए किया गया है, जबकि शायद ये लोग ये नही जानते कि अल्पसंख्यक में जो भारतीय हैं उन्हें इन ओछ्हे तरीकों से भरमाया नही जा सकता। केवल उन लोगों को अपने तरफ़ मोडा जा सकता है जो देश के ख़िलाफ़ काम करते हैं। ये लोग ये भूल जाते हैं की ये सब करके वो आतंक को बढावा देते हैं।
वैसे इस सन्दर्भ में एक और बात याद आती है:
जब देश के बजाय अपनी सेवा करने के लिए राजनीति में आये लोगों को देश के बड़े सम्मानों से नवाजा जा सकता है, तो ये भी शायद ग़लत नहीं (आपने शायद इस बार का पद्म भूषण, विभूषण और श्री पुरस्कारों का वितरण याद रखा हो, जिसमे कुछ राजनीतिज्ञों को भी तवज्जो दी गई, भले ही उन्होंने देश के लिए कुछ भी ना किया हो )।
देखते हैं की इस देश के प्रशासकों का चरित्र और कितना नीचे गिरता है ?
या फ़िर हमें आगे आक़र ये सब रोकना पड़ेगा और इसके ख़िलाफ़ हल्ला बोलना होगा।
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