ताज महल (हवाई दृश्य )
गुम्बद और ध्वज का नजदीक से दृश्य
सामने से दृश्य ताज का
वो जगह जहाँ के बारे में कहा जाता है कि मुमताज़ को दफनाया गया
बर्हंपुर का महल जहाँ मुमताज़ की मृत्यु हुई
ईंटों से बंद किया हुआ दरवाज़ा जिसने सारे सबूतों को छिपाने में मदद की है
बड़ा सा बंद रोशनदान
वेदिक डिजाईन एक बंद कमरे की छत पर
एक और कमरे का अंदरूनी दृश्य
२२ गुप्त कमरों में से एक का अंदरूनी दृश्य
निचले तल के २२ गुप्त कमरों में से एक
३०० फीट लंबा गलियारा
उपरी तल पर जाने की सीढ़ी
ॐ , दीवार के फूलों में
निचले तल का संगमरमर युक्त कक्ष
उपरी तल पर एक बंद कमरा
संगीत कक्ष (एक और अपवाद )
ताज के पिछले भाग में बने खिड़की और दरवाजे जिन्हें बंद कर दिया गया है
ताज और उसके २२ भागों का पिछला दृश्यावलोकन
लाल गुलाब द्वार के ठीक ऊपर
ताज के बाहर में एक प्रतिबिम्ब ध्वज का
एक ईंटों की दीवार जिसने काफी सारे सबूत छिपा दिए हैं
अंदरूनी कुआँ
अपनी एक किताब "Taj Mahal : A True Story " में प्रो पी एन ओक ने इसका प्रतिवाद किया है॥
उन्होंने कहा है कि ताज किसी मुमताज की कब्रगाह नहीं बल्कि हिन्दुओं का देव स्थान " शिव मन्दिर" था। और इसका वास्तविक नाम तेजो महालय है। आपने छानबीन के दौरान उन्होंने ये जन की तेजो महालय , शाह जहाँ ने जयपुर के राजा जय सिन्ह से हड़प लिया था। ये तो अपने बादशाह-नामा में भी शाह जहाँ ने कबूला है की एक बेहद खूबसूरत इमारत उन्होंने ली थी, मुमताज की कब्रगाह बनने के लिए।
कुछ और भी बातें हैं जो इस बात को सत्यापित करतीं हैं : जैसे कि
- किसी भी मकबरे में कुआँ नही होता।
- कहा जाता है कि ताज महल पूरी तरह से मकराना संगमरमर से बना है, तो फ़िर वहाँ कि दीवारों में कुछ स्थान जहाँ दरवाजे खिड़की होने के निशान पाए जाते हैं वहाँ ईंटों कि दीवार क्यों बनी हुई है, और फ़िर उन कमरों में लोगों को क्यों नहीं जाने दिया जाता लोगों को?
- एक स्थान है जहाँ से पानी गिरता है जिसे देख कर लोग कहते हैं की औरंगजेब रो रहा है, और दिलचस्प बात ये भी है की उसी स्थान पर शिवलिंग होने का दावा किया जाता रहा है।
- किसी भी मुस्लिम राज्य में किसी इमारत (कब्रगाह की ) के नाम में महल नही होता ॥
- किसी भी मुस्लिम कब्रगाह को किसी नदी के पास नही बनाया गया।
- कमल वेदिक कलाकृतियों में इस्तेमाल होती थी, नाकि मुग़ल कलाकृतियों में।
ऐसे बहुत सारे सन्दर्भ हैं जो यह साबित करतें हैं कि हमारी इतिहास की किताबें सरकारों के अनुसार बदलती रही हैं । मसलन आप अभी के हालत भी देख सकते हैं, की देश में सत्ता परिवर्तन के बाद कैसे इतिहास की पुस्तकों में भरी फेर बदल होता है।
भारतीयों ने अगर इन सब बातों के ख़िलाफ़ आवाज़ नही उठाई तो उन्हें अपने इतिहास पर गौरव करने का अधिकार भी खोना पड़ सकता है।
तो क्या ये समय है हल्ला बोलने का ? क्या अब हम सब भारतीय एक साथ हल्ला बोलेंगे ?
इन सब सवालों का जवाब तो वक्त देगा॥
1 comment:
not only tejomahalaya but thousands of hindu monuments are crying over their slave situation. muslim period is remembered for the conversion of persons, monuments and the names of places also as prayag to allahabad and saket to faizabad.this situation may be changed only by self reformation by hindus of the world.
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