क्या महाराष्ट्र भारत में नहीं आता?अगर आता है तो क्यूँ महाराशात्र के एक नागरिक के कहने पर वहन के लोग दुसरे प्रान्त से आये आपने भाइयों पर हमला कर देते हैं? भारत एक राष्ट्र नहीं बन सकता, अलग अलग क्षेत्रोंके सममिलित समूह की बजाय ?
आजकल महाराष्ट्र में जो हो रहा है, क्या वो सही है ?
हम सभी जानते हैं की मुम्बई भारत की व्यापारिक राजधानी है..
और अगर महाराष्ट्र के लोग समझते हैं की महाराष्ट्र मराठियों के लिए है तो मुझे खेद के साथ ये कहना पड़ता है, की वो जगह देश की व्यापारिक राजधानी बनने योग्य नहीं है..
इस कारण भारत के सभी क्षेत्रों के लोग मुम्बई में शेयर बाज़ार में पैसे लगते हैं..और ये तो सभी जानते हैं की अविकसित प्रदेशों के मजदूर, और अन्य बेरोजगार लोग, विकसित प्रदेशों में जाकर नौकरी करते हैं..इसके पीछे ये बात भी है की भारत एक है...और ऐसे समय, जब भारत सरकार प्रतिभा पलायन को संजीदगी से ले रहीं हैं..भारत में ही अगर क्षेत्रवाद जा जोर रहेगा तो क्या युवा वर्ग जो प्रतिभा से पूरित है, भारत से पलायन का नहीं सोचेगा?
क्या ऐसा नहीं हो सकता की हम सब भारतीय पहले हों, मराठी, गुजरती, बिहारी, उत्तर परदेशी, बंगाली वगैरह बाद में ?
अगर आप आसमान की ऊँचाइयों पर जाओगे तो वहाँ कोई बिहार , कोई महाराष्ट्र, कोई गुजरात...नहीं दिखता, बल्कि दिखती है तो एक तस्वीर जो समस्त मानव जाती को एक बताती है, एक देश, एक राज्य, एक शहर का नागरिक नहीं ...
क्या हम ऐसा सोच सकते हैं?जब तक हम अपनी सोच में ऐसा परिवर्तन नहीं लायेंगे तब तक क्या आजादी की कोई औचित्य है?क्या हम कभी इन सब से कभी आज़ाद होंगे? जब तक हमारा सोचना नहीं बदलेगा, तब तक ये नेता हमारा शोषण करते रहेंगे ... वे जाति, धर्मं, क्षेत्र वगैरह के नाम पर हमें बांटते रहेंगे और अपना उल्लू सीधा करते रहेंगे..
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