Friday, March 7

जाने होगा क्या

कल को चला था,
आज कहाँ आ गया.
जाने की क्या गलती थी,
जो यहाँ आ गया.

आने के बाद जाना नहीं,
खोने के बाद पाना ही.
आ गए तो आगे,
पीछे अब जाना नहीं.

पाने का मज़ा तो तब है,
जब कुछ खो कर आओ.
हंसने का अंदाज़ देखो,
जो रोकर पाओ.

सब फुरसत के फ़साने हैं,
बेमाने ये बहाने हैं.
अनाज के ये दाने हैं,
जो बिखर ही जाने हैं.

बचपन के बाद तो,
जवानी ही आनी है.
खेलने के बाद तो,
रवानी ही आनी है.

अब तो सारे रास्ते,
खुल गए हमारे वास्ते.
अब तो उजाला हुआ,
अँधेरा तो गुम हुआ.

जियो जिन्दादिली से,
हर ग़म के मज़े लो.
शाम को ना लिया,
तो सुबह के चार बजे लो.

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