शेयर बाज़ार में भरी गिरावट के संभावित कारण :
आप सब जानते हैं की पिछले दिनों शेयर बाज़ार में भारी गिरावट दर्ज की गयी ...
मेरी इस बारे में कई लोगों से बात हुई ..
उनका आंकलन यहाँ मैं लिख रहा हूँ:
....भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका पर बहुत ज्यादा निर्भर कर रही है .. अतः अमेरिकी बाज़ार में गिरावट के कारण.. वस्तुतः अमेरिका ने अपने निवेश का काफी अंश वापस निकाल लिया..
...भारतीय शेयर बाज़ार में कुछ गलत मानसिकता और उद्देश्य वाले लोगों ने पैसा लगा रखा हो सकता है... जब बाज़ार डूबने लगा तो इन्होने पैसे वापस निकाल लिया..जिससे गिरावट में काफी तेजी आ गयी..
...बाज़ार में दो काफी बड़े IPOs आये थे जिसके कारण बाज़ार में पैसों की भारी किल्लत थी...इस कारण समय रहते निवेश करके गिरावट को संतुलित नहीं किया जा सका...
...भारत अमेरिका संबंध ठीक वैसे ही है जैसे सिंधु घटी सभ्यता के समय मेसोपोटामिया से भारत के संबंध थे,...भारत का कारोबार बहुत ज्यादा मेसोपोटामिया पर आश्रित था ...इसी कारण मेसोपोटामिया के बाज़ार में आयी गिरावट से भारत अछूता ना रह सका और यही सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का कारण था...
शेयर बाज़ार में बहुत दिनों से तेजी का दौर था.. अतः थोरी गिरावट तो होनी थी जो काफी दिनों से बाकि चल रही थी...
...इस संबंध में आप सब की क्या राय है कृपया जरुर बताएं...
ये ब्लॉग जून'०७ में शुरू किया था, पर कुछ कारणवश पहला लेख जनवरी'०८ में लिखा.दोस्ती नाम है क्यूंकि इसके जरिये मैं भारत से दोस्ती कर रहा हूँ .
Saturday, January 26
क्या हम देशभक्त हैं?
आप सभी जानते हैं कि भारतीय लोकतंत्र/ गणतंत्र के दो सबसे मुख्य दिन होते हैं
गणतंतग दिवस और स्वतंत्रता दिवस
ये क्रमशः २६ जनवरी और१५ अगस्त को होते हैं....
इस दिन सारा भारत देश भक्ति के रंग में रंग जाता है...
सारे लोग अपनी देशभक्ति किस चीज़ से प्रदर्शित करते हैं:
भारतीय ध्वज़ (प्लास्टिक या कागज के) को साथ में लेकर, घरों पर लगा कर,
गाड़ियों के आगे लगा कर,बच्चों के हाथ में पकडा कर...
इसमें सबसे दुःख कि बात ये है कि शाम होते होते या उससे पहले ही ध्वज़ का बुरा हाल हो जाता है , और जो भारतीय ध्वज़ लोगों कि भारतीयता को प्रदर्शित कर रहा था (थोडी देर पहले ), वो कुदे के ढेर पर, नालियों, गटर में जीर्ण-शीर्ण हालत में पाया जाता है...
क्या ये राष्ट्रीयता और राष्ट्रीय ध्वज़ का सम्मान है ?
क्या हम देशभक्त हैं?
गणतंतग दिवस और स्वतंत्रता दिवस
ये क्रमशः २६ जनवरी और१५ अगस्त को होते हैं....
इस दिन सारा भारत देश भक्ति के रंग में रंग जाता है...
सारे लोग अपनी देशभक्ति किस चीज़ से प्रदर्शित करते हैं:
भारतीय ध्वज़ (प्लास्टिक या कागज के) को साथ में लेकर, घरों पर लगा कर,
गाड़ियों के आगे लगा कर,बच्चों के हाथ में पकडा कर...
इसमें सबसे दुःख कि बात ये है कि शाम होते होते या उससे पहले ही ध्वज़ का बुरा हाल हो जाता है , और जो भारतीय ध्वज़ लोगों कि भारतीयता को प्रदर्शित कर रहा था (थोडी देर पहले ), वो कुदे के ढेर पर, नालियों, गटर में जीर्ण-शीर्ण हालत में पाया जाता है...
क्या ये राष्ट्रीयता और राष्ट्रीय ध्वज़ का सम्मान है ?
क्या हम देशभक्त हैं?
Tuesday, January 22
वो लोग...
सत्रहवें साल में आपने, मैंने सूनी एक कहानी
सुनकर छलक आई, मेरी आँखों से पानी...
उस कहानी में थी, वीरों की रवानी
जोश्वर्धक हर, नायक था हिन्दुस्तानी...
आपने पूर्वजों ने दी थी, कितनी ही कुर्बानी
हमें विरासत में मिली, आज़ाद हवा-पानी...
उनके कष्ट जान कर, अपने हुए बेमानी
होम करदी उन्होने, अपनी जिंदगानी...
ऐश से गुज़ार सकते थे, वो अपनी जवानी
देशभक्तिपूर्ण, उनके विचार थे लोहानी...
देश के लिए बहाया, रक्त जैसे पानी
चट्टान जैसा अडिग, देशप्रेम था जिस्मानी...
जुल्मों पर भी, अंग्रेजों की बात नहीं मानी
ओजपूर्ण लोग, सदा रहे स्वाभिमानी...
उत्पन्न करते थे, अंग्रेजों के लिए परेशानी
उन्होंने करा दी, सितमगर अंग्रेजों की रवानी...
देश को आजाद करा, वे हुए सैलानी
विचार स्वच्छ थे, जैसे कांच हो या पानी...
उनके राह पर हमनें, चलने की है ठानी
उनपर गर्व करता है, आज का हिन्दुस्तानी...
सुनकर छलक आई, मेरी आँखों से पानी...
उस कहानी में थी, वीरों की रवानी
जोश्वर्धक हर, नायक था हिन्दुस्तानी...
आपने पूर्वजों ने दी थी, कितनी ही कुर्बानी
हमें विरासत में मिली, आज़ाद हवा-पानी...
उनके कष्ट जान कर, अपने हुए बेमानी
होम करदी उन्होने, अपनी जिंदगानी...
ऐश से गुज़ार सकते थे, वो अपनी जवानी
देशभक्तिपूर्ण, उनके विचार थे लोहानी...
देश के लिए बहाया, रक्त जैसे पानी
चट्टान जैसा अडिग, देशप्रेम था जिस्मानी...
जुल्मों पर भी, अंग्रेजों की बात नहीं मानी
ओजपूर्ण लोग, सदा रहे स्वाभिमानी...
उत्पन्न करते थे, अंग्रेजों के लिए परेशानी
उन्होंने करा दी, सितमगर अंग्रेजों की रवानी...
देश को आजाद करा, वे हुए सैलानी
विचार स्वच्छ थे, जैसे कांच हो या पानी...
उनके राह पर हमनें, चलने की है ठानी
उनपर गर्व करता है, आज का हिन्दुस्तानी...
बात इतनी सी..
पापा कहते हैं, बात इतनी सी
पूरे करने हैं, ख्वाब मेरे भी...
मम्मी कहती हैं, बात इतनी सी
यश बढानी है, खानदान की...
दीदी कहती हैं, बात इतनी सी
पोल खोलनी है, भ्रष्ट लोगों कि...
भैया कहते हैं, बात इतनी सी
सेवा करना सदा, आपने देश की...
छोटे चाहते हैं, बात इतनी सी
बौछार हो उनपर, सदा मेरे स्नेह की...
चाचा कहते हैं, बात इतनी सी
भूल ना जाना, कभी तुम मुझको ही...
बुआ कहती हैं, बात इतनी सी
सेवा करना सदा, दीन दुखियों की...
दादी कहती थीं, बात इतनी सी
रोटी खाना सदा, ईमानदारी की...
दादा जी कहते थे, बात इतनी सी
प्रेरणा लेना सदा, अपने माँ बाप सी...
सोचता हूँ मैं भी, बात इतनी सी
अक्स बनूँगा मैं, अपने दादाजी सी...
पूरे करने हैं, ख्वाब मेरे भी...
मम्मी कहती हैं, बात इतनी सी
यश बढानी है, खानदान की...
दीदी कहती हैं, बात इतनी सी
पोल खोलनी है, भ्रष्ट लोगों कि...
भैया कहते हैं, बात इतनी सी
सेवा करना सदा, आपने देश की...
छोटे चाहते हैं, बात इतनी सी
बौछार हो उनपर, सदा मेरे स्नेह की...
चाचा कहते हैं, बात इतनी सी
भूल ना जाना, कभी तुम मुझको ही...
बुआ कहती हैं, बात इतनी सी
सेवा करना सदा, दीन दुखियों की...
दादी कहती थीं, बात इतनी सी
रोटी खाना सदा, ईमानदारी की...
दादा जी कहते थे, बात इतनी सी
प्रेरणा लेना सदा, अपने माँ बाप सी...
सोचता हूँ मैं भी, बात इतनी सी
अक्स बनूँगा मैं, अपने दादाजी सी...
Monday, January 21
start afresh
This is my first poem,
So it is the gateway,
To the world of poem,
By me who is on the expressway…
Rhymes and tone,
Are not here alone,
Important is the essence,
Does this make the sense?
Friends are encouraging,
The future is bright,
If you can write and sing,
The poem is alright…
Open up your heart,
Speak out all this evening,
Be extrovert,
And spread your wings.
The bottom of my mind
holds the keys which I call,
I keep reaching towards it
in this never-ending fall...
"Stay strong and keep going,
it's never too late"...
No one seems to realize
Nothing is worth the wait …..
Friday, January 18
जीना है यहीं
तुम अपनी आँखों का नूर मेरे नाम कर दो...
तुम अपने घर का कोहिनूर मेरे नाम कर दो.
आज वो मिलन कि बेला आगई है..
हवाओं पर छाई मोहब्बत नई है..
अब तो तुम अपनी जिंदगी मेरे नाम कर दो..
अपनी मोहब्बत का ऐसे ही ऐलान कर दो.
आज बहुत समय बाद वो शमा ई है,
साथ में अपने नई जिंदगी लाई है.
ये वक़्त कह रहा है जिंदगी जी लो,
कल के बजाये आज में जी लो....
तुम अपने घर का कोहिनूर मेरे नाम कर दो.
आज वो मिलन कि बेला आगई है..
हवाओं पर छाई मोहब्बत नई है..
अब तो तुम अपनी जिंदगी मेरे नाम कर दो..
अपनी मोहब्बत का ऐसे ही ऐलान कर दो.
आज बहुत समय बाद वो शमा ई है,
साथ में अपने नई जिंदगी लाई है.
ये वक़्त कह रहा है जिंदगी जी लो,
कल के बजाये आज में जी लो....
जिन्दगी का मर्म
बहुत दिनों से मैं ये सोच रहा था..
कल तक मेरे पैरों में मोच रहा था
परेशानी में सर के बाल नोच रहा था,
यारों तसल्ली से ये सोच रहा था.
कल जो होना है वो होगा ही होगा,
आज दुनिया है तो जीना ही होगा.
एक ग़म से दुनिया नहीं मिटती,
चाहने से भी खुशियाँ नहीं सिमटती.
गीता ने कहा है कर्म करता चला जा,
जिंदगी का मर्म समझता चला जा.
अब तो नयी एक कहानी हो गयी,
मैं उसका, जिंदगी मेरी दीवानी हो गयी.
कल तक मेरे पैरों में मोच रहा था
परेशानी में सर के बाल नोच रहा था,
यारों तसल्ली से ये सोच रहा था.
कल जो होना है वो होगा ही होगा,
आज दुनिया है तो जीना ही होगा.
एक ग़म से दुनिया नहीं मिटती,
चाहने से भी खुशियाँ नहीं सिमटती.
गीता ने कहा है कर्म करता चला जा,
जिंदगी का मर्म समझता चला जा.
अब तो नयी एक कहानी हो गयी,
मैं उसका, जिंदगी मेरी दीवानी हो गयी.
अकेलेपन की व्यथा
रात को बेचैनी में करवट बदल रहे थे..
दिल ही दिल में कई अरमान मचल रहे थे..
गिरे जो बिस्तर से सर ऐसा फूटा...
प्रियजनों के आने से अकेलापन छूटा..
मेहमानों के खर्चे से खुद हुए बेजार..
क़र्ज़ चुकाते-चुकाते बिक गया घर बार ..
क़र्ज़ लेने को घर आये लेनदार..
न चूका पाने पर बुला लाये थानेदार..
मरम्मत हुई ऐसी की हुए खस्त-ए-हाल..
ज़माने की ठोकरों से हुए फटेहाल..
ऐसे में मदद करे यार वो ही सच्चा...
ऐसे दर्द-ए-तन से अकेलापन अच्छा..
दिल ही दिल में कई अरमान मचल रहे थे..
गिरे जो बिस्तर से सर ऐसा फूटा...
प्रियजनों के आने से अकेलापन छूटा..
मेहमानों के खर्चे से खुद हुए बेजार..
क़र्ज़ चुकाते-चुकाते बिक गया घर बार ..
क़र्ज़ लेने को घर आये लेनदार..
न चूका पाने पर बुला लाये थानेदार..
मरम्मत हुई ऐसी की हुए खस्त-ए-हाल..
ज़माने की ठोकरों से हुए फटेहाल..
ऐसे में मदद करे यार वो ही सच्चा...
ऐसे दर्द-ए-तन से अकेलापन अच्छा..
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